01 जुलाई, 2017

मैं रश्मि प्रभा अपनी कलम की अभिव्यक्ति के संग .




1 जुलाई को मान्य ब्लॉगर ने ब्लॉग दिवस बताया तो मन 2007 की देहरी पर चला गया, 
, प्रत्येक ब्लॉगर से जुडी कितनी यादें, कितने नाम सामने आ खड़े हुए  और कलम ने कहा - 


कुछ लोग लिखते नहीं 
नुकीले फाल से 
सोच की मिट्टी मुलायम करते हैं 
शब्द बीजों को परखते हैं 
फिर बड़े अपनत्व से 
उनको मिट्टी से जोड़ते हैं 
उम्मीदों की हरियाली लिए 
रोज उन्हें सींचते हैं 
एक अंकुरण पर सजग हो 
पंछियों का आह्वान करते हैं 
 नुकसान पहुँचानेवाले पंछियों को उड़ा देते हैं 
कुछ लोग -
प्रथम रश्मियों से सुगबुगाते कलरव से शब्द लेते हैं 
ब्रह्ममुहूर्त के अर्घ्य से उसे पूर्णता दे 
जीवन की उपासना में 
उसे नैवेद्य बना अर्पित करते हैं 
.....
कुछ लोग लिखते नहीं 
शब्दों के करघे पर 
भावों के सूत से 
ज़िन्दगी का परिधान बनाते हैं 
जिनमें रंगों का आकर्षण तो होता ही है
बेरंग सूत भी भावों के संग मिलकर 
एक नया रंग दे जाती है 
रेत पर उगे क़दमों के निशां जैसे !...
                          .......................................................................................................                                     

कवि कभी गोताखोर 
कुशल तैराक
तो कभी किनारे 
अबूझ भाव तैरने की चाह लिए 
सोचता है- कैसे तैरुं !
कभी सागर की बेबाक लहरों पर भी वह बहता जाता है
इस किनारे से उस किनारे 
और कभी - लहरें जानलेवा हो जाती हैं 
शब्द साँसें भावशून्यता की स्थिति में
कृत्रिम साँसों की तलाश में भटकती हैं ...
'सुनी इठ्लैहें लोग सब ...'
कहनेवाला कवि 
चीखता है .....
इठलाते क़दमों को मनोरोगी की तरह देखता है 
फिर अचानक रेत के पिजड़े में खुद को बन्द कर देता है 
यह उसकी खुशकिस्मती 
रेत के भीतर उसे अपने से उजबुजाये चेहरे मिल जाते हैं 
और यही होता है प्रभु का करिश्मा 
उस पिंजड़े से सभी निकल आते हैं 
शब्दों की ऊँगली थामकर 
...... 
ये असली कवि सच्ची मित्रता निभाते हैं 
और सच बोलते हैं 
इतना सच  
कि इठ्लानेवालों के कदम थक जाते हैं !!!
आकाशीय विस्तार मिलकर ही मिलता है 
पिंजड़ा तभी टूटता है 
ऐसा मुझे लगता है ....
              .............................................................................. और जब पिंजडा टूटता है तो बुत तस्वीरों की अनकही बातें सुनाई देती हैं .

कोई प्रेम का मारा 
कोई दर्द का 
कोई सपनों का 
कोई रिश्तों का 
कोई मिट्टी का 
कोई साँसों का ............. जैसी ज़िन्दगी होती है , तस्वीर उसी तरह बोलती है ....

कभी सकारात्मक
कभी नकारात्मक
कभी हतप्रभ
कभी मकड़ी के जाले सी ....

#हिन्दी_ब्लॉगिंग 

26 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लेखनी को नमन
    नक़ल करने के लिए अक़्ल कहाँ से लाऊँ
    आज अपने ब्लॉग पर कुछ लिखना चाहती हूँ
    शब्द ढ़ेर सारे चुरा रखी हूँ
    बिखरे पड़े तो हैं चोरी स्वाभाविक है
    भाव भी है
    पर अपना हो कुछ
    ऐसा लिखना चाह लिए यहीं बैठी हूँ

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. भावों को चुराने की सोचना यानी वही भाव मन में घुमड़ रहे हैं ... फिर चोरी कैसी !

      हटाएं
  2. .
    .
    .
    सुन्दर अभिव्यक्ति, आभार आपका।


    ...

    जवाब देंहटाएं
  3. क्या बात ? यूँ ही हमारे शब्दों ने देहरी लांघी, इस माध्यम से हमें जोड़ा | रचनाएं तो हमेशा की तरह प्रभावी है ही ...सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. कभी सकारात्मक
    कभी नकारात्मक
    कभी हतप्रभ
    कभी मकड़ी के जाले सी ....

    ब्लॉग जगत जिंदाबाद।

    जवाब देंहटाएं
  5. जैसी ज़िन्दगी होती है वासी ही तस्वीर बोलती है ....लेकिन कभी कभी कवि कल्पना की उड़ान में ज़िन्दगी से कुछ अलग भी सोच शब्दों के जले बुन लेता है ...आप लेखकों के हर मर्म को जानती हैं :)

    जवाब देंहटाएं
  6. जिसके अंदर जैसी भावना होती है वैसे ही उड़ेलते है |

    जवाब देंहटाएं
  7. आप न जानेंगी तो कौन जानेगा :)

    जवाब देंहटाएं
  8. सार्थक पहल है हिन्दी ब्लॉगर्स दिवस मनाने की, ताकि सनद रहे वर्ष भर के भूले- बिसरों को याद ताज़ी हो '
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  9. क्या बात बहुत खूब रशिम माँ
    आज सुबह से ही बहुत सरे ब्लॉग पढ़े और यही पाया की ब्लॉगिंग का जूनून लौट आया है बहुत बहुत आभार
    ब्लॉग जगत जिंदाबाद।

    जवाब देंहटाएं
  10. अच्छा लगता है आपके ब्लाग पर आकर । ब्लागिंग जिंदाबाद ।

    जवाब देंहटाएं
  11. सार्थक लेखन.....अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस पर आपका योगदान सराहनीय है. हम आपका अभिनन्दन करते हैं. हिन्दी ब्लॉग जगत आबाद रहे. अनंत शुभकामनायें. नियमित लिखें. साधुवाद.. आज पोस्ट लिख टैग करे ब्लॉग को आबाद करने के लिए
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

    जवाब देंहटाएं
  12. Sach me kitna kuch yaad aa gaya is hindi blogging ke abhiyan ke bahane :)

    जवाब देंहटाएं
  13. ये असली कवि सच्ची मित्रता निभाते हैं
    और सच बोलते हैं
    इतना सच
    कि इठ्लानेवालों के कदम थक जाते हैं
    ....सही दीदी।

    जवाब देंहटाएं
  14. ब्लॉग जगत की पुरानी यादें ताज़ा कर दीं ... आभार

    जवाब देंहटाएं
  15. अद्भुत लिखती हैं आप
    स्मृतियों को नये पंख देती रचना
    सादर
    शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  16. हमेशा की तरह अद्भुत और प्रेरणात्मक लेखन .... 🙏

    जवाब देंहटाएं
  17. बेहतरीन लेखन है आपका बधाई !
    हिन्दी ब्लॉगिंग में आपका योगदान सराहनीय है , आप लिख रहे हैं क्योंकि आपके पास भावनाएं और मजबूत अभिव्यक्ति है , इस आत्म अभिव्यक्ति से जो संतुष्टि मिलेगी वह सैकड़ों तालियों से अधिक होगी !
    मानते हैं न ?
    मंगलकामनाएं आपको !
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

    जवाब देंहटाएं
  18. जाने कैसे मैं भी पिंजरे में बंद हो गई हूँ... कोशिश कर रही हूँ उसे तोड़ने की पर जाने कब तक में तोड़ पाऊँगी... देखती हूँ कब तक में मेरी चीखों को आवाज़ मिलती है...

    जवाब देंहटाएं
  19. आपने जिस प्रकार शब्दो में एक रचनाकार को चित्रित किया है बस आपको दोनों हाथ जोडकर प्रणाम कर सकता हूँ. आपके योगदान को कौन छू सकता है भला... प्रेरणा हैं आप!

    जवाब देंहटाएं
  20. ‘‘ जैसी ज़िन्दगी होती है , तस्वीर उसी तरह बोलती है ’’
    बहुत बड़ी और सही बात ।
    हिंदी ब्लॉगिंग में आपका योगदान प्रशंसनीय है।

    जवाब देंहटाएं
  21. फेसबुक पर देखा 1 जुलाई को सभी ब्लॉग दिवस मना रहे हैं तो मुझे जानकारी मिली, जबकि ब्लॉगिंग करते हुए आठ साल से ज्यादा हो गए मुझे. ब्लॉग दिवस की बधाई.

    ''जैसी ज़िन्दगी होती है, तस्वीर उसी तरह बोलती है ....'' बहुत गहन सोच. एक पंक्ति में जैसे पूरी ज़िन्दगी लिख दी आपने. बहुत बधाई.

    जवाब देंहटाएं

दौड़ जारी है...

 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...