01 अप्रैल, 2014

नफ़रत से विरक्ति




नफ़रत ....!!!
हुई थी एकबारगी मुझे भी
शायद उम्र का तकाजा था !
पर जैसे जैसे उम्र
या शायद अनुभवों की उम्र बढ़ी
मैंने खुद को टटोला
नफ़रत का कोई अंश नहीं मिला
व्यक्ति,स्थान,परिस्थिति..
जिनसे मुझे नफरत हुई थी
उनका नामोनिशां तक नहीं मिला
तब जाना -
उन सब से मुझे विरक्ति हो गई
!
न स्थान बदलता है
न परिस्थिति
न व्यक्ति ....
तो उदासीन,विरक्त होना ही जीने की कला है
प्रतिक्रिया से परे
न उसकी उपस्थिति असर डाले
न अनुपस्थिति
.....
नफ़रत एक आग है
जो बुझती नहीं
और जब तक वह जलती है
न हम खुद को जी पाते हैं
न दूसरों के जीने को सहज ढंग से ले पाते हैं
तो इस आग से विरक्त होना श्रेयष्कर है
विरक्त मन निर्विकार हो जाता है
और निष्क्रियता सक्रियता में बदल जाती है ...
....
आसान नहीं होता
पर समय के हथौड़े
अंततः बेअसर होने को बाध्य कर देते हैं
या ..... हम याददाश्त को बदल लेते हैं !
कारण जो भी हो ...
नफरत बीमारी है
और प्राकृतिक सोच की दवा विरक्ति
जहाँ सच सच होता है
झूठ .......... एक मुस्कान दे जाता है
और कभी कभी खिलखिलाहट -
सुकून होता है - कि मोह और वैराग्य दोनों का पलड़ा बराबर है !!!

25 टिप्‍पणियां:

  1. नफरत वो ज़ख्म है जो भरता ही नहीं और अगर भरने पर आए भी तो बकौल मुनव्वर राना कोई न कोई कारण की मक्खी उसपर बैठ जाती है और ज़ख्म को ज़िन्दा कर जाती है! इसीलिये भगवान श्री कृष्ण ने गीता में समझाया है कि हमें नफरत-प्रेम, सुख-दु:ख से अस्पृश्य रहना चाहिये.
    बहुत ही गहराई से आपने अपनी बात रखी है! और दीदी, कविता दिल को छूती है!!

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  2. नफरत सच है
    विरक्ति झूठ
    नफरत एक
    खुला मैदान है और
    विरक्ति एक बुर्का
    मेरे लिये
    हो सकता है
    गलत भी
    सीखने की
    उम्र नहीं होती
    है ना ?

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  3. कारण जो भी हो ...
    नफरत बीमारी है
    sahi v sundar bhavabhivyakti .

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  4. कमाल की अभिव्यक्ति , आपके भाव को लय बद्ध करने का दिल है :)

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  5. नफ़रत एक आग है
    जो बुझती नहीं
    और जब तक वह जलती है
    न हम खुद को जी पाते हैं
    न दूसरों के जीने को सहज ढंग से ले पाते हैं
    तो इस आग से विरक्त होना श्रेयष्कर है
    विरक्त मन निर्विकार हो जाता है
    और निष्क्रियता सक्रियता में बदल जाती है ...
    समझते - सहमत होते हुये भी ग्रसित हो ही जाते हैं हम
    हमेशा की तरह बेजोड़ अभिव्यक्ति

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  6. शाश्वत सत्य को सहजता से बखान करतीं सुंदर पंक्तियाँ...

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  7. विरक्ति भविष्य की चिंता के समाधान के रूप में जन्म लेती है कि कहीं
    नफरत इतनी न फ़ैल जाए कि कर्म बंधन में फंसकर सामने वाले से फिर कोई नाता न हो जाए इसलिए उसे भूल जाना ही भला

    रहें हम दूर उनसे इतना कि मेरे साँसों को , हवाओं को लेने में मुझे तकलीफ न हों
    जैसे कोई भयानक सपना फिर दुबारा याद न आए

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  8. जब नफरत से विरक्ति हो जाती है तो पहुँच जाते हैं उस मुकाम पर जहाँ इंसान सिर्फ प्रेम देना और बांटना जानता है वह किसी से भेदभाव भी नहीं करता। बहुत सुन्दर बात लिखी है। -

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  9. ओह। ………… गहरी संवेदना समेटे है आपकी ये रचना।

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  10. सही कहा नफरत एक ऐसी बीमारी है जो सारे अस्तित्व को घेर लेती है !
    सटीक रचना !

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  11. नफ़रत स्वयं को भी क्षति पहुंचाती है मगर , इससे विरक्ति भी मोह से विरक्त होने जैसा मुश्किल हो जाता है !
    सोचने को विवश करती है आप !

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  12. सच है नफरत एक बीमारी है..सटीक रचना ! आभार..

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  13. बहोत सही सोचा आपने रश्मिजी.....नफरत सिर्फ दर्द देता है ...हर किसी को ...जिसके मन में है...उसे ; ...जिसके लिए है ..उसे ......फिर ऐसी भावना को क्यों पालें ......'विरक्ति' ही सही मार्ग है ....हर उस रिश्ते से जिससे अपेक्षा जुड़ी रहती है...जो कहीं न कहीं 'मोह' की उपज है ......और जीवन में अपेक्षाएँ रखना ही दुःख का सबसे बड़ा कारण है ....!!!

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  14. तो उदासीन,विरक्त होना ही जीने की कला है
    प्रतिक्रिया से परे
    न उसकी उपस्थिति असर डाले
    न अनुपस्थिति.....man ki baat aapne bahut saaf shabdon me kah di hai.....mujhe bahut hi achchi lagi ye baat.....

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  15. सच नफरत से कुछ हासिल नहीं होता उल्टा इसमें नुक्सान ही है ..
    बहुत बढ़िया प्रेरक रचना ..

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  16. मुझे भी इस नफरत का परित्याग करना है :)

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  17. नफरत खुद को भी नहीं छोड़ती ... जलाती रहती है ... इसका त्याग करना ही पड़ता है ... दिल को छूती रचना ..

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  18. नफरत करने वालों के सीने में प्यार भर दूँ...नफरत मैनेजमेंट का आपका फंडा बहुत कारगर होगा...

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  19. नफरत से विरक्त होने वाला कोई विरला ही योगी होता है !
    आपने अहसास तो दिलाया , सुन्दर रचना द्वारा ! !

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