18 फ़रवरी, 2012

ऐब्नौर्मल



जब ज़िन्दगी फूलों से गुजरकर
तूफानों के मध्य चीखती है
फिर अचानक खामोश हो
अपने रास्ते बनाने लगती है
होकर भी
कहीं गुम सी जाती है
पर क्रम निभाती रहती है
तो -
- ऐब्नौर्मल दिखती है या नहीं
ये तो नहीं पता
पर कही जाती है !!!
कहनेवाले वही होते हैं
जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं ...
......
कभी इन सोनेवालों से कोई जाने
' नींद कैसे आ जाती है ?'
इतना खाली है दिल दिमाग
कि कोई असर नहीं होता
या ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
यह अचूक नुस्खा है !!!

39 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही कहा आपने...

    इतना खाली है दिल दिमाग
    कि कोई असर नहीं होता
    या ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
    यह अचूक नुस्खा है !!!

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  2. कभी इन सोनेवालों से कोई जाने
    ' नींद कैसे आ जाती है ?'
    इतना खाली है दिल दिमाग
    कि कोई असर नहीं होता
    या ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
    यह अचूक नुस्खा है !!!
    ......बहुत ज्वलंत प्रश्न है ....विचारणीय है ....और अन्तत :यही साबित होता है ...." ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
    यह अचूक नुस्खा है !!!" और कुछ नही ..../ खाली दिमाग शैतान का घर ....और खाली दिल ....बहशत का दर ..../एक रचना कुछ इसी तरह के वाकया पर लिखी थी बहुत साल पहले ...../आज उसका प्रतिरूप यहाँ मिला ...../आज के वक्त की बड़ी समस्या जो सामने आ रही है .....वजह भाव शून्यता ..../या फिर भावुकता की इन्तहा ...दोनों ही खतरा हैं .....

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  3. - ऐब्नौर्मल दिखती है या नहीं
    ये तो नहीं पता
    पर कही जाती है !!!
    कहनेवाले वही होते हैं
    जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं ...
    बिल्‍कुल सही कहा है आपने ...

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  4. या ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
    यह अचूक नुस्खा है !!!
    कभी कभी जब आँख खुल जाती है तब लगता है इस तरह जागना अब्नोर्मल होना है और मुंह ढक कर सोना ही नोर्मल होना लगता है ...सच !!!

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  5. ओ मेरी संवेदना!
    तू मौन क्यों है?
    आज तू अल्पना बन कर
    चहुँ ओर बिखर जा.
    रंगोली बन कर फ़ैल जा.
    कल्पना बन कर संवर जा.

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  6. - ऐब्नौर्मल दिखती है या नहीं
    ये तो नहीं पता
    पर कही जाती है !!!
    कहनेवाले वही होते हैं
    जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं .

    WAH SACH HI LIKHA HAI APNE .....BILKUL LAJABAB PRASTUTI ...BADHAI KE SATH HI SATH MERE NAYE POST PR AMANTRAN SWEEKAREN APKE LIYE KUCHH KHAS HAI .

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  7. अनुपम भाव संयोजन के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  8. समाज का यह व्यवहार ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का अचूक नुस्खा है

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  9. यह कविता बेबाकी तथा साफगोई का बयान है।

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  10. जब ज़िन्दगी फूलों से गुजरकर
    तूफानों के मध्य चीखती है
    फिर अचानक खामोश हो
    अपने रास्ते बनाने लगती है
    सुंदर रचना.....

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  11. - ऐब्नौर्मल दिखती है या नहीं
    ये तो नहीं पता
    पर कही जाती है !!!
    कहनेवाले वही होते हैं
    जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं ...

    क्या कहूँ...एसे लोगों से पार पाना मुश्किल होता है...

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  12. ऐब्नौर्मल दिखती है या नहीं
    ये तो नहीं पता
    पर कही जाती है !!!
    कहनेवाले वही होते हैं
    जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं .बिलकुल सच कहा आपने..... इससे हम लोग हर रोज़ रूबरू होते है...... जानते है पर मानते नही है.....

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  13. खाली दिमाग वालों को ही नींद आ सकती है यूँ....

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  14. मन में इतना भर लेते हैं कि सुख चैन निकल जाता है।

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  15. पर कही जाती है !!!
    कहनेवाले वही होते हैं
    जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं ...

    शायद यही सच है संवेदनहीन ह्रदयों का ।

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  16. वाह.....रश्मी जी बहुत ही बेबाकी से लिखी अच्छी अभिव्यक्ति,सुंदर रचना

    MY NEW POST ...सम्बोधन...

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  17. यह चिंता तो जायज़ है... गंभीर विचार करने की आवश्यकता है.

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  18. इतना खाली है दिल दिमाग
    कि कोई असर नहीं होता

    Bahut khoob!!!

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  19. कभी कभी इतना थक जाता है मन...
    और नींद आ जाती है...

    सादर..

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  20. बहुत सुंदर पंक्तियाँ तो है ही साफगोई तो जैसे सोने पर सुहागा..

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  21. बेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना,

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  22. सही कहा आपने कुछ न सुन पाने के लिए दिल-दिमाग को खाली या कहूँ कि रिक्त करना पड़ता है ....... सादर !

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  23. कभी इन सोनेवालों से कोई जाने
    ' नींद कैसे आ जाती है ?'
    शायद अब्नार्मल बनाने वाले ही सो पाते हैं

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  24. - ऐब्नौर्मल दिखती है या नहीं
    ये तो नहीं पता
    पर कही जाती है !!!
    कहनेवाले वही होते हैं
    जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं ...

    वाह! बहुत अच्छी रचना दी...
    सादर.

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  25. बेहद संवेदनशील और यथार्थ बयान करती पंक्तियाँ है बधाई

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  26. ऐब्नौर्मल दिखती है या नहीं
    ये तो नहीं पता
    पर कही जाती है !!!

    सुन्दर सटीक बात!

    सादर

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  27. कभी इन सोनेवालों से कोई जाने
    ' नींद कैसे आ जाती है ?'
    इतना खाली है दिल दिमाग
    कि कोई असर नहीं होता
    या ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
    यह अचूक नुस्खा है !!!

    .....बहुत गहन प्रश्न....बहुत उत्कृष्ट रचना..

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  28. दूसरों की चीख को अनसुना कर सो जाना एक नोर्मल तरीका है...दूसरों के दर्द को साझा करना एब्नोर्मल...एक विचारक ने अपनी जिंदगी के अंत में कहा...मै अगला जीवन भरे पेट और खाली दिमाग के साथ जीना चाहूँगा...कम से कम चैन से सो तो सकेगा...बेचारा...

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  29. इतना खाली है दिल दिमाग
    कि कोई असर नहीं होता
    या ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
    यह अचूक नुस्खा है !!!...बहुत सही कहा..रश्मि जी आप ने.शायद यही सच है ..सुन्दर अभिव्यक्ति
    शिव रात्रि पर हार्दिक बधाई..

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  30. कहनेवाले वही होते हैं
    जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं ...

    सटीक ...स्पष्ट अभिव्यक्ति ...!!

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  31. कहनेवाले वही होते हैं
    जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं .


    हाँ यह तो सच है

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  32. बहुत बड़ा हाजमा चाहिए इस चीख को पचाने के लिए ...

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  33. कभी इन सोनेवालों से कोई जाने
    ' नींद कैसे आ जाती है ?'
    इतना खाली है दिल दिमाग
    कि कोई असर नहीं होता
    या ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
    यह अचूक नुस्खा है !!!

    शत प्रतिशत सही कहा आपने दीदी !

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दौड़ जारी है...

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