01 अगस्त, 2009

तुम और मैं.....(mka)


mka यानी मेरी ज़िन्दगी,मेरे बच्चे....मृगांक,खुशबू,अपराजिता.........
मैंने उन्हें अपने मन का कैनवास दिया है, चित्रित करने की हर संभव कोशिश की है.........

तुम-
देवदार लगते हो....
उन्नत,विशाल,दृढ़ ,कोमल
एक सुरक्षा,
एक गहराई मिलती है !
सर उठाकर तुम्हे देखते हुए
अपने वजूद पर गौरवान्वित होती हूँ,
अपने हाथों पर
अदम्य विश्वास होता है..................

तुम-
गुलाब हो....
काँटों की ज़रूरत क्यूँ होती है
तुम्हारी खुशबू से जाना !
रूप,रंग और विशिष्टता
तुम्हारी सम्पूर्णता है
जो मुझे सम्पूर्णता देती है...........

तुम-
छुईमुई .....
ख़ुद में सिमट जाती हो
फिर धीरे-धीरे
परिवेशीय विस्तार लेती हो...
समस्त कोमलता के संग
तुमने अक्सर बताया है
स्पर्श से पहचान मिलती है,
दुनिया-
स्वभावगत विशेषता का मूल्यांकन करने में
भूल जाती है,
कि,
इससे ठेस भी लगती है........
इसलिए , परिस्थिति के आगे सिमटो ,
पुनः विस्तार पाओ............

मैं-
तुम जो कह लो !
मेरे घर में
देवदार - सी विशालता,
गुलाब की खुशबू,
छुईमुई की कोमलता है
..........अब तुम जो भी नाम दे दो !

32 टिप्‍पणियां:

  1. rashmi ji,

    aapki is rachna men bhi chhuimui si komalta hai to gulab ki khushboo bhi aur devdaar jaisi dridhta dikhati hai....bahut sundar abhivyakti.....badhai

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  2. उस विराटता ,सम्पूर्णता और कोमलता में आप ही दृष्टिगत होती हैं .....
    MKA कोई अलग नहीं लगते, आपके व्यक्तित्व का दर्पण जैसे तीन भागों में आपके दर्शन कराता हो .......
    स्नेहाकांक्षी--ज्योत्स्ना.

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  3. तुम गुलाब हो काँटों की जरूरत क्यूँ होती है।

    अच्छे भाव की रचना रश्मि प्रभा जी। वाह। कभी मैंने भी लिखा था कि-

    काँटे सुमन संग पलते क्यों कोई भेद बता जाता।
    रवि शशि तारे बात दूर की जुगनू भी मैं बन पाता।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  4. बहुत सुन्दर शब्दों में आपने, अपने बच्चों और खुद का परिचय दिया | ईश्वर करे की आप यू ही सपरिवार खुशहाल रहें हमेशा [:)]

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  5. हमें तो "सम्पूर्णता, तहजीब और संस्कार" के नाम देने में तनिक भी संकोच नहीं बल्कि गर्व की अनुभूति हो रही है की चलो कोई तो मिला जहाँ वह सबकुछ है जो होना चाहिए.

    इस दुनिया में "होना चाहिए" पर बातें तो सब करते हैं, पर स्वयं वह करते पाए जाते हैं, जो नहीं होना चाहिए की श्रेणी में मौका मिलता तो स्वयं भी रखते.

    एक स्वस्थ परंपरा की एक और उच्चस्तरीय रचना पढ़ कर दिल को सुकून मिला.

    बधाई.

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  6. एक माँ ही इस तरह अपने बच्चों को जान सकती है...उन्हें बयाँ कर सकती है
    बेहतरीन पोस्ट है

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  7. दीदी,

    पढ़कर आँखें नाम होगई. एक माँ की ममता ने कैनवास पर जो रंग बिखेरे हैं वह सच बहुत खूबसूरत हैं. आप.....आप वो कैनवास हो जिसपर यह तीन चित्र उभरे हैं...!! दिल को छू गयी कविता.

    --गौरव

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  8. माँ के जीवन में बच्चों के प्रति प्रेम को दर्शाती रचना बहुत सुन्दर हुई है.
    बधाई

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  9. aapaki rachana me prilakshita bhaaw itane komal our pwitra lagate hai ki ......sawapan ka aabhas maatra lagate hai .........bahut hi sundar rachana atisundar ......aise hi likhate rahe .......badhaaee

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  10. एक् "माँ" ही कैनवास में ऐसे रंग बिखेर सकती है, जो विश्वास, सम्पूर्णता और कोमलता की परिभाषा को सार्थक करता है ... Ilu ..!

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  11. tumhara har rang ek sampoorn chitr hota hai ek bhee atirikt shabd kee aawshaykta nahee hotee ek bhe shabd kam karane ke eichha nahe ehotee bas yoon hee likhtee rahen

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  12. sach bataoo...pahle to ham is rachna ko samajh hi nahi paaye ...dobara padha aur aankh nam ho gai....bahut pyaari kriti

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  13. बहुत सुन्दर लगी आपकी यह अभिव्यक्ति ..सुन्दर रचना के लिए बधाई

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  14. तुम गुलाब हो काँटों की जरूरत क्यूँ होती है।
    beautiful.....rashmi jee...

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  15. बहुत कोमल विचारों को समेटे है यह कविता। साधुवाद।

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  16. जितने कोमल भाव हैं आपने उतनी ही कोमलता से उन्हें व्यक्त किया है.

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  17. tum or main....puri srishti hai es rachna me...apki sabhi kavitaye boht khoobsurat hai..pad ke fir se padne ko man karta hai....

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  18. अत्यन्त सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये रचना बहुत अच्छी लगी!

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  19. यदि मनुष्य में देवदार की विशालता,गुलाब की खुशबू और छुईमुई की कोमालता आजाये तो वह सम्पूर्ण हो जाए.

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  20. देर से आ रहा हूँ...और जो ये अद्‍भुत कृति मुझसे छुट जाती तो मेरा तो बड़ा नुकसान हो जाता...
    प्रशंसा के बोल नहीं हैं...मैं चुप हूँ बस..

    मृगांक से मिला नहीं हूँ, कभी-न-कभी तो मुलाकात होगी ही...आखिर छोटा भाई है मेरा वो।
    mka के लिये मेरी समस्त शुभकामनायें, उन्हें सारी खुशियां मिले और सफलता उनके साथ-साथ रहे सदैव-सदैव !

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  21. rashmi didi,

    bahut acchi bhaavnaaye .. dil ko chooti hui ,aapne sahi shbd diye hue hai .. aapko bahut badhai..



    aabhar

    vijay

    pls read my new poem "झील" on my poem blog " http://poemsofvijay.blogspot.com

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  22. आदरणीय रश्मि जी ,
    एम् के ए की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...पूरे परिवार की कोमल अनुभूतियाँ इस कविता में समाहित हैं.
    पूनम

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  23. tumhari bagiya mei devdaar bhi hai aur phool bhi....
    sach padh ke bahut pyar aya...

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  24. I read all poems u wrote. I feel good reading the feeling. I am also a writer... How to i write a blog please help me.
    -Gitika "vedika"
    gitikavedika12@gmail.com

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